Haryana Day

#1st_November #HaryanaDay #50Years



हरियाणा दिवस की शुभकामनाएं .गौरवमयी संस्कृति,हरे भरे खेत ,खेल और गीता ज्ञान के लिए पूरी दुनिया में विख्यात हरियाणा नयी करवट ले रहा है ! हरियाणवी होने पर गर्व!  जय भारत म्हारा जय हरियाणा !!


Haryana Day greetings. Proudy culture ,green fields ,sports and knowledge of the Gita Gyan in the world renowned Haryana is taking a new turn! Proud to be a Haryanvi ! Mhara Jai Haryana, Jai India.

#Surgical Strike सर्जिकल कार्यवाही के बाद मचा राजनितिक बवाल


दुनिया भर मे अमेरिका -रूस-इज़रायल सैन्य सर्जिकल कार्यवाही के लिए जाना जाता है भारत ने भी खूब सर्जिकल किये है मगर अपने सैन्य हित के लिए देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए की किसी राजनितिक पार्टी को चुनावी जुमला देने के लिए ऐसा तो नही है कि पहली बार भारत ने सर्जिकल किया हो पहले भी बहुत हुये मनमोहन सरकार मे तो ख़बरों के मुताबिक़ 6 से ज़्यादा हुए मगर तब किसी ने नही माँगा सबूत आज ही क्यूँहाल ही मे किये सर्जिकल के सबूत की माँग क्यूँ हो रही है ?इस क्यूँ का जवाब देखते है .. 

इस कार्यवाही से दुनियाभर मे फिर नयी आतंकशरणी की परिभाषा मिलने पर पाकिस्तान ने विशेष रणनीतिक दाँव खेला गया पाकिस्तान ने खुद अंतरराष्ट्रीय मीडिया को बुलाकर कहा कि यहाँ कुछ नही हुआ वो भी तीन-चार दिन बाद .. ये वही पाकिस्तान है जहाँ लादेन मिला मारा गया

वैसे सिर्फ़ पाकिस्तान की बातें सुनने या अंतरराष्ट्रीय मीडिया को सुनकर वीडियो की माँग नही हुई. सबको पता है पाकिस्तान के बार बार सबूत देने के बाद कुछ नही होता तो अब भी कयूँ सुनें ..
मेरी नज़र मे ये माँग एक राजनिति का हिस्सा है बाकि कुछ नही .. भारत मे राजनिति को स्तर को देखे तो शायद इसलिए कि पहली बार एक राजनितिक पार्टी के नेता सर्जिकल कार्यवाही के होर्डिंग लगवा रहे है नाम लुट रहे जैसे कोई बिल पास करवा दिया हो सैन्य कार्यवाही को राजनिति मे प्रयोग करना बेहद चिंताजनक है राजनितिक विशेषज्ञों की माने तो कुछ राज्य चुनाव मे चुनाव घोषित है यही मुख्य कारण है  मतलब साफ़ है सता के लिए कुछ भी किसी भी स्तर की राजनिति करेंगे
दूसरी तरह इस कार्यवाही की वीडियो को सार्वजनिक करके पाकिस्तान को जवाब देना कि सिर्फ़ किसी गंदी ज़ुबानी राजनिति है बल्कि एक प्रकार से सरकार की मंशा पर शक करना सा है जिसकी ज़िम्मेदार सरकार खुद है वरना पहले किसी कार्यवाही की वीडियो की माँग नही हुई

पिछली ख़बरों के मुताबिक़ रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर साहब ने  अरब सागर में पाकिस्तानी बोट का जलता हुआ फोटो जारी किया था जो बाद मे गलत साबित हुआ सरकार पर सवाल उठाना देशद्रोह कैसे हो सकता है ? फिर उस सवाल करने वाले के ख़िलाफ़ विशेष जंग छेड़ना अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है इस अभिव्यक्ति की आजादी मे सवाल उठाने वाले को हमेशा संयम रखकर सवाल करने चाहिए . अगर राजनिति होने का अंदेशा मिला तो खुद राजनिति करके मौन रखना चाहिए  

किसी भी सर्जिकल अन्य सैन्य कार्यवाही की वीडियो को सार्वजनिक नही किया जाना चाहिए यही एक समृद्ध चौंकने देश का नियम है अगर सैन्य कार्यवाही द्वारा देश के नागरिकों का हनन हो या किसी नेता या पार्टी विशेष को आवेश या दबाव मे आकर की गयी कार्यवाही को ज़रूर उजागर किया जाना चाहिए मगर आंतरिक मामलों पर ही
सवा सौ करोड की दुसरी बड़ी आबादी वाला देश है भारतजिसके सैन्य सुरक्षा विभागों को अच्छे से पता है कि किसी राजनितिक दबाव मे या किसी देश के कहने पर हम काम नही करते अपनी सुरक्षा कैसे करनी है खुद तय करते है .इसलिए राजनितिक जुमलो से बचो कुछ दिन टीवी बंद कीजिए .. भारतीय सेना के बहादुर सैनिक आपकी रक्षा के लिए तात्परित है उन पर विश्वास रखिये हो सके तो जहाँ कही सैनिक मिले उसको बग़ैर राजनितिक पहचान दिये जय हिंद कहकर धन्यवाद कहिए अच्छा लगेगा .. आपकी इस छोटी सी पहल से सिर्फ़ एक सैनिक बल्कि सारे सैनिकों का सम्मान बढ़ेगा .. जय हिंद

सांझी का त्योंहार हरियाणा में

राम राम जी , नवरात्रौ की हार्दिक शुभकामनाएँ आप सबने ..

 'सांझी ' उतर भारत के गाँव -देहात विशेषकर हरियाणा पंजाब ,दिल्ली राजस्थान मे मनाया जाने वाला सर्दी के नवरात्रौ का त्यौहार !हरियाणी हूँ इसलिए वहाँ के हिसाब से मनाये जाने वाले सांस्कृतिक तरीक़ों को लिखने की कोशिश करूगाँ 
आइये बताता हू कि कैसे हरियाणा के गाँव-देहात मे सर्दियों के  नवरात्रों के शुरू होने पर मतलब कनागत( श्राद्ध ) के ख़त्म होने के बाद में घरों की दीवारों पर साझी सजाई व बनाई जाती है।साझी को  नवरात्रों में नौ दिनों तक माता के नौ रूपों में पूजा जाता है 

साझी बनाने के लिए गाय के गोबर में मिट्टी मिलाकर दीवार पर महिला की आकृति बनाई जाती है फिर उस पर चाँद सितारों व अनेक प्रकार की मिट्टी की सज्जा वाली कलाकृति लगाई जाती है जो अकसर सफ़ेदी मे डूबो कर यानी पोत कर बाद मे हल्दी व सिंदूर से गढ़ी जाती है। साझी का एक दुल्हन की तरह ही श्रगार किया जाता है व उसके मुंह को दुल्हन की तरह ही लाल रग के दुपट्टे या कपड़े से ढका जाता है। मतलब घूँघट किया जाता है बिलकुल नयी नवेली दुल्हन की तरह श्रृंगार किया जाता है

 वैसे तो ये कुँवारी लड़कियों का त्यौहार है .. मगर जिस घर मे कुँवारी लड़कियाँ नही है तो उस घर की महिलाएँ घरों की दीवारों पर साझी बनाकर हरियाणवी संस्कृति को कायम रखने का प्रयास करती है शहरों मे ग्रामीण परिवेश वाले लोग आज भी यह त्योहार मनाते है बल्कि मेरे संपर्क मे कुछ परिवार ऐसे भी है जो विदेशों मे यह परंपरा क़ायम रख रहे है जिससे उनके बच्चे उनकी इस संस्कृति को भूले नही!  वैसे भी हरियाणवी संस्कृति में साझी की अपनी ही एक अहम भूमिका है। साझी माँ दुर्गा की एक कलाकृति है। दोनो बखता ( सुबह -शाम) साझी का पूजा होती है। ए आस्था ये भी है कि बुजुर्गों के बताए कुवारी छोरी (लड़किया )अपने अपने लिए श्रेष्ठ व मनचाहा वर पाने के लिए साझी पूजा करती है। बताते है कि सत युग से यह परंपरा चली आ रही है 

आजकल घर की दीवार ख़राब का बहाना बनाकर साझी नही मनाते बहुत सारे परिवार धीरे धीरे शहरीकरण का हवाला देने लगे है वैसे अगर नीयत हो तो पोस्टर पर भी साझी बनी हुई देखी है मेने तो जैसे ब्याह -शादी मे थापे लगाते है ठीक उसी तरह .. ख़ैर सबके अपने अपने विचार अपनी अपनी आस्था व आपने अपने ढकोसलै ..!

याद है मुझे कि साझी सजाने के बाद रोज़ नये पकवानों का भोग लगाती है लड़कियाँ साझी यानी देवी माता को ..जिसमे अपने आप मे एक ख़ास संस्कृतिक आस्था दिखाई पड़ती है यक़ीन मानिए कुछ त्योहार व काम ऐसे होते है जो शब्दों मे बयां ही नही किये जा सकते जो महसूस किये जा सकते है  है।  नौ दिन तक साझी की पूजा करने के बाद दशहरे के दिन साझी का जोहड या नदी मे विसर्जन कर देते है 


.. दुनिया की संस्कृति को अपनाने के लिए घुट रहो हो मगर अपनी छोड़ रहे हो ये कैसा आधुनिक मतलब शहरीकरण ? अपने बच्चों को बताऔ अपनी संस्कृति के बारे मे बताओ मै ये नही कह रहा दूसरी संस्कृति व त्योहार मत मनाऔ मगर उनको अपनाने के चक्कर मे अपने मत भूलो .. "ऐसा करते समय बस एक बार कौवे व मोर वाली कहानी याद कर लेना जिसमें कौवा न कौवा रहा न मोर बन पाया था " साफ़ शब्दों मे ज्ञान की बात ये है तीज-त्योहार बनाऔ अपनी संस्कृति को सँजोए रखो आधुनिकता की होड़ मे इतने मत उलझ जाऔ की अपनी पहचान ही खो दो जय राम जी की 

शहीद भगत सिंह की क्रांतिकारी बातें

Sardar Bhagat Singh




शहीद भगत सिंह ने कहा था कि अगर सुनने वाला बहरा हो तो आपकी आवाज में दम होना जरुरी है 
महान क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह का कहना था कि कोई भी त्याग हमारी मातृभूमि की आजादी से बड़ा नहीं है, आज हम स्वतंत्र भारत में जी रहे हैं, ये इन्हीं लोगों का त्याग है। जब भारत की आजादी के किस्से सुने जाते हैं तो भगत सिंह का नाम ही सबसे ऊपर आता है। तो आइये जानें सरदार भगत सिंह जीवन की कुछ बातें :- 
सरदार भगतसिंह ने कहा था कि “मेरा जन्म एक पवित्र कार्य के लिए हुआ है, देश की आजादी ही मेरा परम धर्म है मेरे लिए कोई आराम नहीं है और मुझे मेरे लक्ष्य से कोई नहीं रोक सकता”
भगत सिंह के जीवन से जुडी एक प्रेरणादायी घटना है, कहते है कि भगत सिंह की माँ अक्सर देखा करती थीं कि वो एक अगरबत्ती लेकर रोज के छोटे कमरे में जाते और कमरा अंदर से बंद करके घंटों अंदर ही रहते। एक दिन जब भगत सिंह अगरबत्ती लेकर कमरे में दाखिल हुए तो माँ ने जिज्ञासावश एक कोने से अंदर देखा तो उनका कलेजा भर आया। भगत सिंह के एक हाथ में अगरबत्ती थी और सामने भारत माँ की तस्वीर टंगी थी और भगत सिंह फूट फूट कर रो रहे थे। उनकी आँखों में एक चमक थी आजादी की चमक। वो बार बार भारत माँ से वादा कर रहे थे कि माँ मैं अपने प्राणों की आहुति देकर तुझे आजाद कराऊंगा। ये देखकर माँ का सीना गर्व से फूल गया बाद मे इसी सरकार भगत सिंह ने पूरे देश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया ! 
मात्र 23 वर्ष की उम्र में इस वीर सपूत ने हँसते हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया। ऐसे देश प्रेमियों को कोटि कोटि नमन.………
शहीद भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार 
जिंदगी अपने दम पे जी जाती है, दूसरों के कन्धों पे तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं शहीद भगत सिंह
जीवन का अर्थ केवल अपने मन को नियंत्रित करना नहीं है, बल्कि इसको विकसित करना भी है शहीद भगत सिंह
प्रेमी, पागल और कवि एक ही सामग्री के बने होते हैं शहीद भगत सिंह
क्रांति लाना किसी एक अकेले इंसान की शक्ति के परे है इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा शहीद भगत सिंह
क्रांति हर इंसान का एक अविच्छेद्य अधिकार है और स्वतंत्रता सबका अविनाशी अधिकार शहीद भगत सिंह
कोई नियम या कानून तभी तक पवित्र और मान्य है जब तक ये लोगों की इच्छाओं को आदर करता है शहीद भगत सिंह
जब कोई व्यक्ति प्रगति की ओर कदम बढ़ता है तो उसे आलोचना, अविश्वास और चुनौती का सामना करना पढता है शहीद भगत सिंह
क्रांतिकारी विचारों के लिए एक स्वतंत्र भावना का होना बहुत जरुरी है शहीद भगत सिंह
मैं जोर देकर कहता हूँ कि मेरे अंदर भी अच्छा जीवन जीने की महत्वकांक्षा और आशाएं हैं लेकिन मैं समय की माँग पर सब कुछ छोड़ने को तैयार हूँ यही सबसे बड़ा त्याग है शहीद भगत सिंह
आप लोग भी भगत सिंह के बारे में अपने विचार कॉमेंट में नीचे जरूर लिखें

याद आया वो सामण मे तीज का त्यौहार


राम राम जी सबने दोनूं हाथ जोड़कर ...आज तीज का त्योहार है खूब सोनीपत का घेवर ,मातुराम की जलेबी , खीर-सुहाली,पुंडे -गुलगुले खाया करते जब माँ -दादी तीज मनाया करती ... 
सबने सुण राखया सै ये बात भी ...
"नीम्बाँ कै निम्बोळी लागी सामणीया कद आवैगा,
जियो हे! मेरी माँ के जाए कोथळी कद ल्यावैगा| "

मननै भी आज छुट्टी के दिन पडै-पडै ने दूर देश-देहात मे बाद याद वो सारी आ गई.. कुछ पक्तियाँ लिखी है बताणा कैसी लगी ?

#तीज पर अपनी अपनी माँ-दादी के त्योहारी प्यार को याद करते हुये ..

सै इबबै याद मेरे कयूकर,माँ-दादी ने थी तीज मनाई 
सै इबबै याद मेरे कयूकर,माँ-दादी ने थी तीज मनाई 


छुट्टी के दिन देश-देहात ते दूर मेरे बात याद वा आई 
दिन मे डाल झूल नीम-पीपल पै,कौथली थी सुनाई.
.........................माँ-दादी ने थी तीज मनाई 

फैर उन टोली बीरा की ने,लम्बी लम्बी पींग बधाई 
सारा घर लीप पोत कै बड़े चुल्हे उपर धरी थी कढाई 
......................माँ-दादी ने थी तीज मनाई 

फेर सांझ छिपै सी पूड़े-गुलगुले,खीर-सुहाली बणाई
भोग लगा कै पितर व गऊ माता का नयू हरियाली तीज बणाई
........................... माँ-दादी ने थी तीज मनाई 


हरियाणा परिपेक्ष पर बनी फ़िल्म सुल्तान मेरी नज़र से ...

राम राम जी ,अनिल पाराशर का सबको दोनूं हाथ जोड़कर ... आज #सुल्तान फ़िल्म देखी फ़िल्म मे बहुत सारी छोटी छोटी सामान्य कमियाँ है फ़िल्म मे ज़बरदस्त सिर्फ़ व सिर्फ़ हरियाणवी है वो भी हरियाणवी कलाकारों की जैसे रणदीप हुडा ,नवीन ओहलयान (सलमान के पिता) व बहुत सारे सह कलाकारों का अभिनय व उनकी हरियाणा भाषा है जो फ़िल्म मे दिलचस्पी बनाए रखती है वरना सलमान खान ने तो हरियाणवी बोली को सबसे गंदी तरह तोड मरोड़ कर बोला है जो हरियाणा के लोगो ख़ासकर मेरे जैसो को काफ़ी आहत करती है शुरूआती दौर मे पहलवानी का रहन सहन ,चयन व लड़ने पर बेहद भद्धा मज़ाक़ बनाया है गुरू-चैले की भूमिका का... मै कहू कल्पना की हद होती है मगर जिस आधार पर कल्पना करके हरियाणा परिपेक्ष पर फ़िल्म बनायी ।
उसका आधार को तो बरक़रार रखना जरूरी होता है वो बिलकुल नही दिखा .. अब ये नही कहूँगा कि सलमान ने सही ऐक्टिग नही की मगर जिस तरह के अनुभवी स्टार है उम्मीदों पर खरे उतर सकते थे वो नही उतरे .. हरियाणा पर बनी ये कोई पहली फ़िल्म नही है मगर इतने बड़े फ़िल्म स्टार से इतनी छोटी छोटी ग़लतियों की उम्मीद नही है मगर जैसे मेने कहा कि फ़िल्म है तो कोरी कालपनिकता है इसलिए दिल मत लगाइये वैसे भी मेरे निजी विचार है जिनका किसी से कोई लेना देना नही..! 
पूरी फ़िल्म इसलिए भी थोडी मज़ेदार है कयोकि कुश्ती जिस खेल ने पूरे हरियाणा व पूरे देश को पहचान दिलाई उसको विशेष समय देकर दिखाया है मेरे हिसाब से फ़िल्म मे खूब ज़्यादा मज़ा आ जाता अगर थोड़ा अध्ययन करके बनायी होती है ..

पूरी फ़िल्म मे कहानी कुछ ख़ास नही है सिर्फ़ सिर्फ़ सलमान फ़ैक्टर है जो ही सिर्फ़ फ़िल्म को आर्थिक लाभ देगी ना की लोगो कि दिल तक पहुँचेगी शुरूआत मे फ़िल्म बहुत सारी ख़ामियों की वजह से घ्यान परे करती है और फ़िल्म अापकी बिठाए रखती है कि अब कुछ ख़ास होगा इंटरवल के बाद फ़िल्म मे थोडी  मज़ेदार बनती है जब रणदीप हुडा की वापसी होती है बहुत थोड़ा रोल रणदीप हुडा का मगर मैरे जैसो के लिए फ़िल्म ख़त्म होने तक बैठने का कारण दे दिया बैठना ठीक भी रहा अब फ़िल्म को प्रोफ़ेशनल लडाई मे मोड़ दिया ठीक भी रहा वरना इस फ़िल्म मे कुश्ती का अधूरा ज्ञान सबका ध्यान भटका रहा था ख़ैर रणदीप हुड्डा का रोल भले ही कम हो मगर फ़िल्म मे रोचकता डाल दी .अनुषका का अभिनय अच्छा है अकड़ूँ वाला जो किसी भी प्रेम कहानी व ममता से थोड़ा परे है जो काफ़ी अलग है प्रभावित भी ... चलो जी अब फ़िल्म भी ख़त्म हो गयी है तो मै भी लिखना बंद करता हूँ मेरे हिसाब से फ़िल्म को तीन स्टार बाकि आप अपने हिसाब से अपने आंक लेना सबकी अपनी अपनी परख होती है .. और हाँ ये मेरी निजी राय है तो पढ़कर किसी प्रकार के आवेश मे न आये ... जय राम जी की ..

Read US Visa Stamp

Reading a U.S. visa stamp is essential for understanding the terms and conditions of your entry into the United States. Here's a detaile...