हरियाणा परिपेक्ष पर बनी फ़िल्म सुल्तान मेरी नज़र से ...

राम राम जी ,अनिल पाराशर का सबको दोनूं हाथ जोड़कर ... आज #सुल्तान फ़िल्म देखी फ़िल्म मे बहुत सारी छोटी छोटी सामान्य कमियाँ है फ़िल्म मे ज़बरदस्त सिर्फ़ व सिर्फ़ हरियाणवी है वो भी हरियाणवी कलाकारों की जैसे रणदीप हुडा ,नवीन ओहलयान (सलमान के पिता) व बहुत सारे सह कलाकारों का अभिनय व उनकी हरियाणा भाषा है जो फ़िल्म मे दिलचस्पी बनाए रखती है वरना सलमान खान ने तो हरियाणवी बोली को सबसे गंदी तरह तोड मरोड़ कर बोला है जो हरियाणा के लोगो ख़ासकर मेरे जैसो को काफ़ी आहत करती है शुरूआती दौर मे पहलवानी का रहन सहन ,चयन व लड़ने पर बेहद भद्धा मज़ाक़ बनाया है गुरू-चैले की भूमिका का... मै कहू कल्पना की हद होती है मगर जिस आधार पर कल्पना करके हरियाणा परिपेक्ष पर फ़िल्म बनायी ।
उसका आधार को तो बरक़रार रखना जरूरी होता है वो बिलकुल नही दिखा .. अब ये नही कहूँगा कि सलमान ने सही ऐक्टिग नही की मगर जिस तरह के अनुभवी स्टार है उम्मीदों पर खरे उतर सकते थे वो नही उतरे .. हरियाणा पर बनी ये कोई पहली फ़िल्म नही है मगर इतने बड़े फ़िल्म स्टार से इतनी छोटी छोटी ग़लतियों की उम्मीद नही है मगर जैसे मेने कहा कि फ़िल्म है तो कोरी कालपनिकता है इसलिए दिल मत लगाइये वैसे भी मेरे निजी विचार है जिनका किसी से कोई लेना देना नही..! 
पूरी फ़िल्म इसलिए भी थोडी मज़ेदार है कयोकि कुश्ती जिस खेल ने पूरे हरियाणा व पूरे देश को पहचान दिलाई उसको विशेष समय देकर दिखाया है मेरे हिसाब से फ़िल्म मे खूब ज़्यादा मज़ा आ जाता अगर थोड़ा अध्ययन करके बनायी होती है ..

पूरी फ़िल्म मे कहानी कुछ ख़ास नही है सिर्फ़ सिर्फ़ सलमान फ़ैक्टर है जो ही सिर्फ़ फ़िल्म को आर्थिक लाभ देगी ना की लोगो कि दिल तक पहुँचेगी शुरूआत मे फ़िल्म बहुत सारी ख़ामियों की वजह से घ्यान परे करती है और फ़िल्म अापकी बिठाए रखती है कि अब कुछ ख़ास होगा इंटरवल के बाद फ़िल्म मे थोडी  मज़ेदार बनती है जब रणदीप हुडा की वापसी होती है बहुत थोड़ा रोल रणदीप हुडा का मगर मैरे जैसो के लिए फ़िल्म ख़त्म होने तक बैठने का कारण दे दिया बैठना ठीक भी रहा अब फ़िल्म को प्रोफ़ेशनल लडाई मे मोड़ दिया ठीक भी रहा वरना इस फ़िल्म मे कुश्ती का अधूरा ज्ञान सबका ध्यान भटका रहा था ख़ैर रणदीप हुड्डा का रोल भले ही कम हो मगर फ़िल्म मे रोचकता डाल दी .अनुषका का अभिनय अच्छा है अकड़ूँ वाला जो किसी भी प्रेम कहानी व ममता से थोड़ा परे है जो काफ़ी अलग है प्रभावित भी ... चलो जी अब फ़िल्म भी ख़त्म हो गयी है तो मै भी लिखना बंद करता हूँ मेरे हिसाब से फ़िल्म को तीन स्टार बाकि आप अपने हिसाब से अपने आंक लेना सबकी अपनी अपनी परख होती है .. और हाँ ये मेरी निजी राय है तो पढ़कर किसी प्रकार के आवेश मे न आये ... जय राम जी की ..

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