याद आया वो सामण मे तीज का त्यौहार


राम राम जी सबने दोनूं हाथ जोड़कर ...आज तीज का त्योहार है खूब सोनीपत का घेवर ,मातुराम की जलेबी , खीर-सुहाली,पुंडे -गुलगुले खाया करते जब माँ -दादी तीज मनाया करती ... 
सबने सुण राखया सै ये बात भी ...
"नीम्बाँ कै निम्बोळी लागी सामणीया कद आवैगा,
जियो हे! मेरी माँ के जाए कोथळी कद ल्यावैगा| "

मननै भी आज छुट्टी के दिन पडै-पडै ने दूर देश-देहात मे बाद याद वो सारी आ गई.. कुछ पक्तियाँ लिखी है बताणा कैसी लगी ?

#तीज पर अपनी अपनी माँ-दादी के त्योहारी प्यार को याद करते हुये ..

सै इबबै याद मेरे कयूकर,माँ-दादी ने थी तीज मनाई 
सै इबबै याद मेरे कयूकर,माँ-दादी ने थी तीज मनाई 


छुट्टी के दिन देश-देहात ते दूर मेरे बात याद वा आई 
दिन मे डाल झूल नीम-पीपल पै,कौथली थी सुनाई.
.........................माँ-दादी ने थी तीज मनाई 

फैर उन टोली बीरा की ने,लम्बी लम्बी पींग बधाई 
सारा घर लीप पोत कै बड़े चुल्हे उपर धरी थी कढाई 
......................माँ-दादी ने थी तीज मनाई 

फेर सांझ छिपै सी पूड़े-गुलगुले,खीर-सुहाली बणाई
भोग लगा कै पितर व गऊ माता का नयू हरियाली तीज बणाई
........................... माँ-दादी ने थी तीज मनाई 


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