बचपन का टेम याद आ गया कितने काच्चे
काटया करते,
आलस ना था कदे भाजे भाजे हांड्या करते।
माचिस के ताश बनाया करते कित कित त ठा के
ल्याया करते
मोर के चंदे ठान ताई 4 बजे उठ के भाज जाया करते
ठा के तख्ती टांग के बस्ता स्कूल मे हम जाया करते,
स्कूल के टेम पे मीह बरस ज्या सारी हाना चाहया करते ।
मास्टर आज ना आवे रोज़ बात बनाया करते !
कविता गा के सुनाके पहड़े पिटन त बच जाया करते
सरवे की क़लम अर दवात में पुडिया गेर स्याही बनाया करते
जोहडा में भी तख्ती पोत ल्याया करते फिर बात बनाके सुखाया करते ,
नयी किताब आते ए हम असपे जिलद चड़ाया करते।
फेर सारा साल उस कहण्या फेर ना कदे लखाया करते ।
बोतल अर बेच कापी खाते आइसक्रीम हम बालां के मुरमुरे खाया करते ।
घरा म सबके टीवी ना था पड़ोसिया के देखन
जाया करते
ज कोए हमने ना देखन दे फेर हेंडल गेर के आया करते।
भरी दोफारी म डागर खोलके जोहड़ पे ले के
जाया करते ,
बैठ के ऊपर या पकड़ पूछ ने हम भी बड़ जाया करते
खेता मे जा के फेर नलके टूबेल पे नहाया करते ,
चूल्हे ध्होरे बैठ के रोटी नूनी घी धर के खाया करते।
होती
फेर सोनन की तयारी मैं दादा दादी पै कहानी सुना करते
बिजली त कदे आवे ना थी बस बिजना हलाया करते ।
हल्की हल्की सी हवा चालती तो फेर
सो जाया करते ,
तड़के न जब आँख खुलती सारे ऊट्ठे पाया करते ।
दूसरी खाटा के गुददड़े बत्ती सीले से पाया करते ,
छोड़के अपनी खाट न दूसरी पे हटके सो जाया करते ।
बचपन का टेम याद आ गया कितने काच्चे काटया करते...
मिली जुले शब्दों के द्वारा बचपन को याद करण की कोशिश ...!
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