राम राम जी ,मुझे गर्व कि एक किसान परिवार मे जन्म लिया है अपने माता पिता व प्रिय जनों के अथक प्रयास ये यहाँ तक पहुँचा हू । रोज़ाना अखबारे व टीवी चैनलों पर खोखले वादे रेडियो पर मन की बात से किसानो के धाव कुरदते हुए देखता हू तो दादा जी की एक बात याद आती है !
"हर सरकार ने किसान को कहा है बैचारा
मगर आज तक किसी ने नही दिया सहारा"
मेनें तो किसान को हर समस्या से जूझता देखा है । किस प्रकार किसान को व उसके परिवार को प्रकृति की मार पर राजनेताओं के झूठे आश्वासनों पर गुज़र बसर करते देखा है !
आज सबको सिर्फ़ ये बात नज़र आती है कि किसानों के पास लाखों की ज़मीन है मगर ये भी कोई नही देख रहा की उसकी हालात फिर भी नही सुधर रही क़र्ज़ से पीछा नही छूट रहा है ।
मन की बात करने से किसानों की समस्या का रती पर भी समाधान नही है। यू कहो कि पहले साहूकार ज़मीन हड़प लेते थे अब सरकारें हड़पने मे लगी हुई है ! भूमि अधिग्रहण बिल पर पार्टियां राजनैतिक रोटी सेंक रही हैं या वाकई किसानो का भला करना चाहती हैं ?
रैली और धरना देने के साथ साथ साफ़ करे जनता के सामने कि भूमि अधिग्रहण बिल वो कैसा चाहती हैं तब मामला साफ़ होगा अन्यथा एक छलावा ही है किसानों के साथ!..
साफ़ साफ़ शब्दों मे लिखू तो आज एक भी किसान अपने बच्चों को किसान नही बनने देना चाहता है । सरकार को किसानो के हित मे बहुत ज़रूरी क़दम उठाने की ज़रूरत है बग़ैर राजनीति व मन की बात किये !
कड़वे शब्दों मे कहूँ तो किसान व उसके परिवार को हीन समझा जाने लगा है ।हममें से कोई अपने आपको किसान के परिवार का हिस्सा नही बताता जबकि व कही न कही से हिस्सा है ।अभी भी वक़्त हा किसानो की हालात सुधारो देश का विकास वही से जुड़ा है किसान ही खाने को देता है उच्ची उच्ची इमारतें नही
अभी हाल ही मे बारिश से तबाह हुई फ़सलो को मुआवज़े के लिए कही कही तो चिन्हित ही नही की गयी ज़मीनें और जहाँ की गयी है वहाँ सुनने मे आया है दो सौ रूपये के चेक ! श्रम सरकार को तो नही आती मगर किसान को ही आने लगी जिन्होंने मना कर दिया ।
जज़्बाती हू पर आपके क़ीमती समय के लिए तह दिल से धन्यवाद !
जय राम जी की ।
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