आज कई सालों का बाद भारत मे वो भी अपने गृह प्रदेश हरियाणा मे हरियाणा की सुप्रसिद्ध कोरडामार /कोलडामार होली का मज़ा लिया !दिल मे आया की होली के इस त्योहार पर कुछ सामान्य परंतु ज़रूरी लिखा जाए,तो आइए प्रारंभ करता हूँ
होली' हिन्दुओं का प्रसिद्द पर्व है। होली का त्योहार रंगों का त्योहार है। इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग फेंकते हैं और गुलाल लगाते हैं।यह प्रतिवर्ष फाल्गुन माह क़ी पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे रंगों के त्यौहार के रूप में मनाते हैं।
होली इस त्योहार मे लकड़ी क़ी होलिका बनाकर जलाया जाता है तथा प्रातःकाल रंग-बिरंगे विभिन्न रंगों से एक दुसरे को रंग कर रंगों का त्यौहार मनाते हैं। सब एक दुसरे से गले लगकर उन्हें गुझिया खिलाते हैं
होली का महत्त्व - होली के साथ एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। हिरण्यकश्यप एक राक्षस राजा था। उनका पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त निकला। बार बार रोकने पर भी प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करता था जिससे हिरण्यकश्यम क्रोधित हुआ और कई तरह उनको सजा दी। लेकिन प्रह्लाद को भगवान की कृपया से कुछ भी तकलीफ नहीं हुई। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मार डालने के लिए अपनी बहन होलिका को नियुक्त किया था ! क्योंकि होलिका के पास एक ऐसी चादर थी , जिसे ओढ़ने पर व्यक्ति आग के प्रभाव से बच सकता था ! होलिका ने उस चादर को ओढ़कर प्रहलाद को गोद में ले लिया और अग्नि में कूद पड़ी ! वहाँ दैवीय चमत्कार हुआ ! चादर प्रह्लाद के ऊपर गिर पडी। होलिका आग में जलकर भस्म हो गई , परंतु विष्णुभक्त प्रहलाद का बाल भी बाँका न हुआ ! भक्त की विजय हुई और राक्षस की पराजय ! उस दिन सत्य ने असत्य पर विजय घोषित कर दी ! तब से लेकर आज तक होलिका-दहन की स्मृति में होली का मस्त पर्व मनाया जाता है !
मनाने की विधि - होली का उत्सव दो प्रकार से मनाया जाता है ! कुछ लोग रात्रि में लकड़ियाँ , झाड़-झंखाड़ एकत्र कर उसमे आग लगा देते हैं और समूह में होकर गीत गाते हैं ! आग जलाने की यह प्रथा होलिका-दहन की याद दिलाती है ! ये लोग रात में आतिशबाजी आदि चलाकर भी अपनी खुशी प्रकट करते हैं !
होली मनाने की दूसरी प्रथा आज सारे समाज में प्रचलित है ! होली वाले दिन लोग प्रातः काल से दोपहर 2बजे तक अपने हाथों में लाल , हरे , पीले रंगों का गुलाल हुए परस्पर प्रेमभाव से गले मिलते हैं ! इस दिन किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रखा जाता ! किसी अपरिचित को भी गुलाल मलकर अपने ह्रदय के नजदीक लाया जाता है !हरियाणा मे तो यह कोरडामार बोली के नाम से प्रसिद्ध है ।होली मतलब फाग पर भाभी दुपट्टे को भिगोकर बट कर तैयार करती हैं कोरडा कहते हैं जितना कोरडा गीला उतनी ही भयंकर मार.
होली मनाने की दूसरी प्रथा आज सारे समाज में प्रचलित है ! होली वाले दिन लोग प्रातः काल से दोपहर 2बजे तक अपने हाथों में लाल , हरे , पीले रंगों का गुलाल हुए परस्पर प्रेमभाव से गले मिलते हैं ! इस दिन किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रखा जाता ! किसी अपरिचित को भी गुलाल मलकर अपने ह्रदय के नजदीक लाया जाता है !हरियाणा मे तो यह कोरडामार बोली के नाम से प्रसिद्ध है ।होली मतलब फाग पर भाभी दुपट्टे को भिगोकर बट कर तैयार करती हैं कोरडा कहते हैं जितना कोरडा गीला उतनी ही भयंकर मार.
नृत्य-गान का वातावरण - होली वाले दिन गली -मुहल्लों में ढोल-मजीरे बजते सुनाई देते हैं ! इस दिन लोग लोग समूह-मंडलियों में मस्त होकर नाचते-गाते हैं ! दोपहर तक सर्वत्र मस्ती छाई रहती है ! कोई नीले-पीले वस्त्र लिए घूमता है , तो कोई जोकर की मुद्रा में मस्त है ! बच्चे पानी के रंगों में एक-दुसरे को नहलाने का आनंद लेते हैं ! गुब्बारों में रंगीन पानी भरकर लोगों पर गुब्बारें फेंकना भी बच्चों का प्रिय खेल हो जा रहा है ! बच्चे पिचकारियों से भी रंगों की वर्षा करते दिखाई देते हैं ! परिवारों में इस दिन लड़के-लडकियाँ , बच्चे-बूढ़े , तरुण-तरुनियाँ सभी मस्त होते हैं !अतः इससे मस्त उत्सव ढूँढना कठिन है और यह मेरा प्रिय त्योहार है ।
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