मैं अनिल पाराशर आपको हाथ जोड़कर राम राम करता हू तथा आपका ध्यान गौ माता व अन्य पशुओं के बचाव सरकार की तरफ़ ले जाना चाहता हू जैसा आपको पता भी है कि अभी हाल ही मे महाराष्ट्र की तर्ज पर हरियाणा में भी गौहत्या और गौतस्करी पर सजा का प्रावधान कर दिया गया है। ..एक स्वागत योग्य कदम। अब सरकार से प्रार्थना है की गौचरण भूमि खाली कराने का भी कानून पास करा दो। गायों की पहले से ही बहुत दुर्दशा है।
अगर आप शहरों में जाके देखोगे तो इतनी बुरी हालत में मिलेंगी की आपकी अंतरात्मा काँप जायेगी। उनको सूखी घास भी नसीब नहीं हो रही है। प्लास्टिक, कूड़ा कचरा, अख़बार, लोहे के नट बोल्ट और पता नहीं क्या क्या खाकर ...गुजारा कर रही हैं। और उनके छोटे छोटे बाछड़े की तो पूछो ही मत। गऊशालाओं में भी इतनी जगह नहीं है की सबको रख सकें। शहर में सब अपनी पर्सनल लाइफ में बिजी रहते हैं। सबके किवाड़ बंद रहते हैं। हालांकि कभी कभी किसी खास मौके पे एक आध रोटी मिल जाती है।
मैं यहां शहरी लोगों को दोष नहीं दे रहा। आप किसी से भलाई की उम्मीद कर सकते हैं लेकिन उस पर दबाव नहीं डाल सकते। इससे उलट गावों में गायों की स्तिथि बहुत अच्छी है। कम से कम कोई भूखी प्यासी नहीं रहती, किसी को कचरा नहीं खाना पड़ता। खेतों में चर लेती हैं,, खेतों में मौका ना मिले तो और भी भतेरी घास फूस है। और दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि गाँव में लोग भी नरम दिल के हैं। हालांकि पिछले कुछ समय से गौ तस्करी पे सख्ताई के चलते गावों में आवारा पशुओं की संख्या काफी बढ़ गयी है जिससे किसानों को खेती में नुकसान भी हुआ है। फिर ये सोचकर संतोष कर लेते हैं की चलो यार खा गई तो खा गई,गऊ माता है साथ क्या ले के जाना है।कहने का मतलब ये है की शहरों में गायों की दशा बहोत खराब है और इसका एक ही समाधान है की गौचरण भूमि खाली कराओ।
संत गोपालदास देश भर मे अनशन कर कर के थक गया, अपने शरीर को हड्डियों का पिंजर बना लिया लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। उस टाइम तो बीजेपी वाले बड़ी बड़ी बातें करते थे अनशन को सपोर्ट भी किया लेकिन अब सब चुप हैं। बाकी सबको पता है कि अब हो क्या रहा है किसकी सरकार है।
हाँ तो भाई गौचरण भूमि खाली करवाओ। सिर्फ गौतस्करी पे बैन लगाने से बात नहीं बनेगी।लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मुझे नहीं लगता की ऐसा होगा। क्योंकि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं। अच्छी बात है। विकास के लिए जमीन चाहिए। अब गौचरण भूमि की बात तो छोडो खुद किसानों की जमीनें सुरक्षित नहीं हैं। तो मुझे नहीं लगता की किसी भी राजनितिक पार्टी की सरकार ऐसा करेगी। लेकिन याद रखना की उपरवाले ने धरती को हम सब के लिए बनाया था। प्रकृति से खिलवाड़ करोगे तो कहीं के नहीं रहोगे।
काफी समय से सुनते आ रहा हूँ की दुनिया अब खत्म होगी तब खत्म होगी। ये दुनिया तब खत्म होगी जब आदमी हर तरफ से स्वार्थी हो जायेगा। फिर राजनीति कर लेना ऐसे विकास को।सूर्यकवि पंडित लखमी चंद एक बात याद आ गयी-"इसा जमाना आवेगा माणस नै माणस खावेगा"
मैं यहां शहरी लोगों को दोष नहीं दे रहा। आप किसी से भलाई की उम्मीद कर सकते हैं लेकिन उस पर दबाव नहीं डाल सकते। इससे उलट गावों में गायों की स्तिथि बहुत अच्छी है। कम से कम कोई भूखी प्यासी नहीं रहती, किसी को कचरा नहीं खाना पड़ता। खेतों में चर लेती हैं,, खेतों में मौका ना मिले तो और भी भतेरी घास फूस है। और दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि गाँव में लोग भी नरम दिल के हैं। हालांकि पिछले कुछ समय से गौ तस्करी पे सख्ताई के चलते गावों में आवारा पशुओं की संख्या काफी बढ़ गयी है जिससे किसानों को खेती में नुकसान भी हुआ है। फिर ये सोचकर संतोष कर लेते हैं की चलो यार खा गई तो खा गई,गऊ माता है साथ क्या ले के जाना है।कहने का मतलब ये है की शहरों में गायों की दशा बहोत खराब है और इसका एक ही समाधान है की गौचरण भूमि खाली कराओ।
संत गोपालदास देश भर मे अनशन कर कर के थक गया, अपने शरीर को हड्डियों का पिंजर बना लिया लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। उस टाइम तो बीजेपी वाले बड़ी बड़ी बातें करते थे अनशन को सपोर्ट भी किया लेकिन अब सब चुप हैं। बाकी सबको पता है कि अब हो क्या रहा है किसकी सरकार है।
हाँ तो भाई गौचरण भूमि खाली करवाओ। सिर्फ गौतस्करी पे बैन लगाने से बात नहीं बनेगी।लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मुझे नहीं लगता की ऐसा होगा। क्योंकि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं। अच्छी बात है। विकास के लिए जमीन चाहिए। अब गौचरण भूमि की बात तो छोडो खुद किसानों की जमीनें सुरक्षित नहीं हैं। तो मुझे नहीं लगता की किसी भी राजनितिक पार्टी की सरकार ऐसा करेगी। लेकिन याद रखना की उपरवाले ने धरती को हम सब के लिए बनाया था। प्रकृति से खिलवाड़ करोगे तो कहीं के नहीं रहोगे।
काफी समय से सुनते आ रहा हूँ की दुनिया अब खत्म होगी तब खत्म होगी। ये दुनिया तब खत्म होगी जब आदमी हर तरफ से स्वार्थी हो जायेगा। फिर राजनीति कर लेना ऐसे विकास को।सूर्यकवि पंडित लखमी चंद एक बात याद आ गयी-"इसा जमाना आवेगा माणस नै माणस खावेगा"
Good idea to provide home for homeless...
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