राम राम जी,
आंदोलन हमारा है ।माँग हमारी है ।तो देश भी हमारा है और घर हमारे है।,कृपया शांति बनाए रखे व हरियाणा की शान बनाये (मतलब अपने घर की शान बनाये रखे )
पिछले दिनों से जबसे ज़्यादा हिंसक हुआ ये आंदोलन ...यहाँ देश से हज़ारों मिल दूर बैठकर टीवी चैनलों व अख़बारो मे समेटते-धधकते घरों व लोगों को देखकर मन बहुत दुखित हो रहा है मेरे मन मे बार बार मन मे ख़याल आ रहे है चिता खाये जा रही है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि हम इतने हिंसक हो जाये कि अपनो मे ही आग लगा दे ..हरियाणवी हू उसी मिट्टी का हू तो मेरा मन नही मान रहा था बिलकुल ...
मैने कोशिश की बहुत सारे विभिन्न जातियों के मित्रो से बात करके समझने की आखिर ये सब की वजह क्या है ! क्या सच मे हम इतने हिंसक हो गये है ?
तभी जाकर फोन पर हुई सबकी बातो को निचोड़ पर जाना-समझा कि ज़्यादातर की भावना ने कहा कि शहरों मे उपद्रव मचाने वाले इस आंदोलन के दौरान असामाजिक तत्व कोई बाहरी ज्ञात हो रहै है ! मुझे खुद विश्वास नही हुआ कि हरियाणा मे बाहरी लोगों को इतनी सह कैसे मिल सकती है कि हमारे घरों को उजाड़े तब सबका एक ही कहना प्रशासन नाकाम है किसी शिकायत करे इसलिए पहचान कर पकड़ना मुश्किल है कयोकि एैसे मामले उलटा मामला पड़ जाता है
सबसे अपील है कि अपना जान-पहचान वालो जाट-ग़ैर जाट सभी से संपर्क मे आऔ जिनसे जैसे भी संभव हो सकता है व कोशिश करो कि उन आसामाजिक तत्वों को पहचानने की जो म्हारे हरियाणा को मिट्टी मे मिलाने गुजरात ,यूपी एमपी या बिहार बनाने आये है ..
मत भुलो कि हम हरियाणवियों ने दुनिया मे हिंदुस्तान की अलग पहचान बनाई है चाहे खेलो मे ,रण-भूमि मे या किसी भी क्षेत्र मे हो... अजी हमने को आज़ादी की लड़ाई से लेकर अब तक हर लड़ाई मे देश के दुश्मनों को मार भगाया है तो अब हमारे बीच मे कोई राजनीतिक दल या कोई अन्य असामाजिक तत्व को कैसे पनाह मिली ..
रै सोचो कि देश हमारा !प्रदेश हमारा है !लोग अपने है! और घर अपना है ! तो क्या हम इतने कमज़ोर हो गये कि बाहरी दल या राजनिति करने वालो को पनपने दे ..
आजतक कभी हरियाणा मे ऐसा दंगा या आपातकाल जैसा माहौल नही बना कयोकि हम किसी के बहकावे नही आये और न किसी को अपने घर मे सह दी ...
साफ़ साफ़ तीखे शब्दों मे कहूँ तो इन परिस्थितियों की ज़िम्मेदार हर राजनिति पार्टी व उनके नेता चाहे वो मौजूदा सरकार की पार्टी या हारे हुयी पार्टी या कोई दूसरा सक्रिय दल किसी न किसी तरह से । रै अपनो के लिए किसी की ना सुने सिर्फ़ शांति क़ायम करके आंदोलन को आगे बढ़ाये बुज़ुर्गों की राय ले व हिंसक न बनने दे माहौल को ...
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