आज ज़रूरत है हरियाणवी संस्कृति के बचाव के पहल की

राम राम जी,

हाथ जोड़कर अपील हरियाणा संस्कृति को बचाने की पहल की !यही पोस्ट हरियाणवी संस्कृति के बचाव में फ़ेसबुक पर भी कई अन्य पेज एडमिनो ने भी की है 

कोए दिक्कत होतो ईनबॉक्स व कमेंट  करो  ...और पेजा आले भाईयाँ तै रिक्वेस्ट करू सू के जै एग्री सो तो कॉपी करो,,,,शेयर करो

आजकाल आळे सिंगरा नै हरयाणवी कलचर का कति बठ्ठा बठा दिया......जमा भोजपुरी गाणे काढ़ण लाग गे....
बाहर कित्ते बजाण म भी भूंडी शर्म आवै सै....ईनका म्यूजिक सुण कै दूर तै ए माणस बता देगा के चाहे तो हरयाणवी गाणा सै या फेर भोजपुरी...

घर गेल सिंगर पाक रहे सै हर गाणा आता नहीं बैंगण बरगा भी
बस अपणी माँ बोली की बेज्जती कर राखी सै साळ्या नै....

एक ईनकी विडीयो का लेवल देख ल्यो...किते बाहर के माणस तै तो दिखाती हाण भी शर्म आवै सै

ऊपर तै गाणे म अपणा भी,भाई का भी,लिरिक्स आले का भी,म्यूजिक आले का भी...सबका नाम ले देंगे

रै बणाओ तो ढ़ंग का बणाए...ना टाल मारो
क्यू अपणे कल्चर की ईसी तिसी करो सो 

ये गिणे चुणै दो चार सिंगर सै जो हरयाणवी कल्चर नै थाम रहे सै...

सबसे असली बात...

कम्पीटीशन होया करते रागनियाँ के....बढ़िया आले
गलत बात भी बोल दिया करते पर वा सिर्फ समझदार माणसा कै ए समझ म आया करती

आजकाल तो नाचण खातर लुगाई बुलवावै सै....के फर्क रहग्या थारे म अर जो मुजरा देखण जा सैं उनमैं... ये बाला तो इसी आई है नाश कर दिया कलचर का गंद मचा दिया 

वैसे थम लुगाई नचवाओ प्रोगरामां म....अर विरोध करो सन्नी लियोन का

हरयाणवी कल्चर उस ईतणी तळी तक चल्या ज्यागा....कदे अपणे बुजर्गा व महान कलाकारों  न सोची नही होगी ।।

मेरे तैरै बचपन की यादै

बचपन का टेम याद आ गया कितने काच्चे
काटया करते,
आलस ना था कदे भाजे भाजे हांड्या करते।

माचिस के ताश बनाया करते कित कित त ठा के
ल्याया करते
मोर के चंदे ठान ताई 4 बजे उठ के भाज जाया करते
 
ठा के तख्ती टांग के बस्ता स्कूल मे हम जाया करते,
स्कूल के टेम पे मीह बरस ज्या सारी हाना चाहया करते ।

मास्टर आज ना आवे रोज़ बात बनाया करते !
कविता गा के सुनाके पहड़े पिटन त बच जाया करते 

सरवे की क़लम अर दवात में पुडिया गेर स्याही बनाया करते 
जोहडा में भी तख्ती पोत ल्याया करते फिर बात बनाके सुखाया करते ,

नयी किताब आते ए हम असपे जिलद चड़ाया करते।
फेर सारा साल उस कहण्या फेर ना कदे लखाया करते ।

बोतल अर बेच कापी खाते आइसक्रीम हम बालां के मुरमुरे खाया करते ।
घरा म सबके टीवी ना था पड़ोसिया के देखन
जाया करते

ज कोए हमने ना देखन दे फेर हेंडल गेर के आया करते।

भरी दोफारी म डागर खोलके जोहड़ पे ले के
जाया करते ,
बैठ के ऊपर या पकड़ पूछ ने हम भी बड़ जाया करते 

खेता मे जा के फेर नलके टूबेल पे नहाया करते ,

चूल्हे ध्होरे बैठ के रोटी नूनी घी धर के खाया करते।
होती 
फेर सोनन की तयारी मैं दादा दादी पै कहानी सुना करते 

बिजली त कदे आवे ना थी बस बिजना हलाया करते ।
हल्की हल्की सी हवा चालती तो फेर
सो जाया करते ,
तड़के न जब आँख खुलती सारे ऊट्ठे पाया करते ।

दूसरी खाटा के गुददड़े बत्ती सीले से पाया करते ,
छोड़के अपनी खाट न दूसरी पे हटके सो जाया करते ।
बचपन का टेम याद आ गया कितने काच्चे काटया करते... 
मिली जुले शब्दों के  द्वारा बचपन को याद करण की कोशिश  ...! 

बैसाखी का त्यौहार Baisakhi festival in Punjab, Haryana & India

राम राम जी ! मैं अनिल पाराशर Anil Parashar बैसाखी के त्यौहार पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ देता हू ! 



बैसाखी एक है।उतरी भारत मे यह त्यौहार बैसाखी (मेक) नाम से पंजाब व हरियाणा में मनाया जाता है  जिसे देश के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले सभी के लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। के अनुसार हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है।अब आप सोच रहे होगे कि अबकी बार 14 अप्रैल को क्यूँ ? वैसे कभी-कभी 12-13 वर्ष में यह त्योहार 14 तारीख को भी आ जाता है। रंग-रंगीला और छबीला पर्व बैसाखी अप्रैल माह के 13 या 14 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब मनाया जाता है।
भारत भर में बैसाखी का पर्व सभी जगह मनाया जाता है। इसे दूसरे नाम से भी कहा जाता है। कृषक इसे बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाते हुए खुशियों का इजहार करते हैं। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। पंजाब व हरियाणा की भूमि से जब पककर तैयार हो जाती है तब यह पर्व मनाया जाता है। इस कृषि पर्व की के रूप में भी काफी मान्यता है।हरियाणा मे मैंने इस कहावत को किसानो से अकसर सुना है "मेक पाछै फ़सल एकम एक "इंटरनेट व कुछ मित्रों से मिली जानकारी के अनुसार देश भर मे अलग अलग नाम से मनाया जाता है मेरी जानकारी के अनुसार बैसाखी किसी धर्म विशेष का नही बल्कि हर किसी का त्यौहार है केवल पंजाब में ही नहीं बल्कि उत्तर भारत के अन्य प्रांतों में भी बैसाखी पर्व उल्लास के साथ मनाया जाता है। सौर नववर्ष या मेष संक्रांति के कारण पर्वतीय अंचल में इस दिन मेले लगते हैं। लोग श्रद्धापूर्वक देवी की पूजा करते हैं तथा उत्तर-पूर्वी सीमा के असम प्रदेश में भी इस दिन बिहू का पर्व मनाया जाता ह उत्तर भारत में विशेष कर पंजाब व हरियाणा मे बैसाखी पर्व को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है। ढोल-नगाड़ों की थाप पर युवक-युवतियां प्रकृति के इस उत्सव का स्वागत करते हुए गीत गाते हैं एक-दूसरे को बधाइयां देकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं और झूम-झूमकर नाच उठते हैं। यह बात सत्य है कि सिखों का इस त्यौहार से विशेष संबंध है अतः बैसाखी आकर पंजाब के युवावर्ग को याद दिलाती है। साथ ही वह याद दिलाती है उस भाईचारे की जहां माता अपने दस गुरुओं के ऋण को उतारने के लिए अपने पुत्र को गुरु के चरणों में समर्पित करके सिख बनाती थी। 
सिखों के दसवें ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में वर्ष 1699 में की नींव रखी थी। इसका 'खालसा' खालिस शब्द से बना है। जिसका अर्थ- शुद्ध, पावन या पवित्र होता है। खालसा-पंथ की स्थापना के पीछे गुरु गोबिन्द सिंह का मुख्य लक्ष्य लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त कर उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना था। 
इस पंथ के द्वारा गुरु गोबिन्द सिंह ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी। सिख धर्म के विशेषज्ञों के अनुसार पंथ के प्रथम गुरु नानक देवजी ने वैशाख माह की आध्यात्मिक साधना की दृष्टि से काफी प्रशंसा की है। पंजाब और हरियाणा सहित कई क्षेत्रों में बैसाखी मनाने के आध्यात्मिक सहित तमाम कारण हैं। इस दिन सिख गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। खेत में खड़ी फसल पर हर्षोल्लास प्रकट किया जाता है। बैसाखी पर्व के दिन समस्त उत्तर भारत की पवित्र नदियों में स्नान करने का माहात्म्य माना जाता है। अतः इस दिन प्रातःकाल नदी में स्नान करना हमारा धर्म हैं। मान्यता है कि गुरू गोविंद सिह जी ने सभी जातियों के लोगों को एक ही अमृत पात्र (बाटे) से अमृत छका पाँच प्यारे सजाए। ये पाँच प्यारे किसी एक जाति या स्थान के नहीं थे, वरन् अलग-अलग जाति, कुल व स्थानों के थे, जिन्हें खंडे बाटे का अमृत छकाकर इनके नाम के साथ सिंह शब्द लगा। 
हिंदुओं के लिए यह त्योहार नववर्ष की शुरुआत है। हिंदु इसे स्नान, भोग लगाकर और पूजा करके मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि हजारों साल पहले देवी गंगा इसी दिन धरती पर उतरी थीं। उन्हीं के सम्मान में हिंदू धर्मावलंबी पारंपरिक पवित्र स्नान के लिए गंगा किनारे एकत्र होते हैं।
केरल में यह त्योहार 'विशु' कहलाता है। इस दिन नए, कपड़े खरीदे जाते हैं, आतिशबाजी होती है और 'विशु कानी' सजाई जाती है। इसमें फूल, फल, अनाज, वस्त्र, सोना आदि सजाए जाते हैं और सुबह जल्दी इसके दर्शन किए जाते हैं। इस दर्शन के साथ नए वर्ष में सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। ब्न्गाल मे इन ये त्योहार नभ बर्श के नम से मनाते हैं।
मैं अनिल पाराशर आपका धन्यवाद करता हू आपके क़ीमती समय के लिए व अपील करता हू संभव हो सके जितना त्यौहार बनाइये उतना व्यवहार बनाने के लिए ! मेरे इस लेख मे कुछ अधूरी जानकारी या कोई सुझाव हो तो कृपया मुझे लिखे मैं सम्मिलित करने की कोशिश करूँगा।जय राम जी की ! 

Turn ON or OFF Features Prompts .NET Framework 3.5 (included .NET 2.0 and 3.0)

How to Turn ON or OFF Features Prompts .NET Framework 3.5 (included .NET 2.0 and 3.0) When you are Online, connected to Internet.

In order to install the following window click on the .NET Framework 3.5 (included .NET 2.0 and 3.0) select it & click OK
http://anilparashar87.blogspot.com
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Now, it will download the entire package from the internet & install the .NET Framework feature.
Method 2: When you are Offline and not connected to Internet

If you open CMD.EXE with Administrative Privileges i.e. at elevated level & run the this DISM command dism /online /get-features you will see that from the State that .NET Framework is not part of the Operating System.


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Now you need to copy the required package to local machine before you run the command to install .NET Framework. To do that use Windows 8 ISO/DVD/USB Media. You need to copy SXS folder to local machine located at D:\sources\sxs (In this case D: your drive letter on which you have loaded Windows 8 Media)



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You can also use the following command to copy this folder locally. xcopy d:\sxs\*.* c:\sxs /s
Once completed, in order to install this feature you can run the following command dism /online /enable-feature /featurename:NetFx3 /All /Source:C:\sxs /LimitAccess  (Case sensitive ) and hit Enter


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After completing the installation of .NET Framework 3.5 you can see that the feature is enabled in the Control Panel –> Program and Features.


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With above mentioned method you can enable .NET Framework feature on Windows 8 without needing of an internet connection.

Cheers... Good luck :)



किसान की बात


राम राम जी ,मुझे गर्व कि एक किसान परिवार  मे जन्म लिया है अपने माता पिता व प्रिय जनों के अथक प्रयास ये यहाँ तक पहुँचा हू । रोज़ाना अखबारे व टीवी चैनलों पर खोखले वादे रेडियो पर मन की बात से किसानो के धाव कुरदते हुए देखता हू तो दादा जी की एक बात याद आती है !

"हर सरकार ने किसान को कहा है बैचारा
मगर आज तक किसी ने नही दिया सहारा"

मेनें तो किसान को हर समस्या से जूझता देखा है । किस प्रकार किसान को व उसके परिवार को प्रकृति की मार पर राजनेताओं के झूठे आश्वासनों पर गुज़र बसर करते देखा है ! 
आज सबको सिर्फ़ ये बात नज़र आती है कि किसानों के पास लाखों की ज़मीन है मगर ये भी कोई नही देख रहा की उसकी हालात फिर भी नही सुधर रही क़र्ज़ से पीछा नही छूट रहा है ।

मन की बात करने से किसानों की समस्या का रती पर भी समाधान नही है। यू कहो कि पहले साहूकार ज़मीन हड़प लेते थे अब सरकारें हड़पने मे लगी हुई है ! भूमि अधिग्रहण बिल पर पार्टियां राजनैतिक रोटी सेंक रही हैं या वाकई किसानो का भला करना चाहती हैं ? 

रैली और धरना देने के साथ साथ साफ़ करे जनता के सामने कि भूमि अधिग्रहण बिल वो कैसा चाहती हैं तब मामला साफ़ होगा अन्यथा एक छलावा ही है किसानों के साथ!..

साफ़ साफ़ शब्दों मे लिखू तो आज एक भी किसान अपने बच्चों को किसान नही बनने देना चाहता है । सरकार को किसानो के हित मे बहुत ज़रूरी क़दम उठाने की ज़रूरत है बग़ैर राजनीति व मन की बात किये !
कड़वे शब्दों मे कहूँ तो किसान व उसके परिवार को हीन समझा जाने लगा है ।हममें से कोई अपने आपको किसान के परिवार का हिस्सा नही बताता जबकि व कही न कही से हिस्सा है ।अभी भी वक़्त हा किसानो की हालात सुधारो देश का विकास वही से जुड़ा है किसान ही खाने को देता है उच्ची उच्ची इमारतें नही 

अभी हाल ही मे बारिश से तबाह हुई फ़सलो को मुआवज़े के लिए कही कही तो चिन्हित ही नही की गयी ज़मीनें और जहाँ की गयी है वहाँ सुनने मे आया है दो सौ रूपये के चेक ! श्रम सरकार को तो नही आती मगर किसान को ही आने लगी जिन्होंने मना कर दिया ।

जज़्बाती हू पर आपके क़ीमती समय के लिए तह दिल से धन्यवाद !

जय राम जी की ।

हनुमान जयंती पर विशेष लेख श्री हनुमान चालीसा सहित Shri Hanuman Chalisa

  श्री हनुमान जयंती पर विशेष लेख श्री हनुमान चालीसा सहित !

राम राम जी ,मैं अनिल पाराशर आप सभी को श्री हनुमान जयंती पर हाथ जोड़कर राम राम करता हूँ आज हनुमान जयंती पर भगवान श्री राम के परमभक्त हनुमान जी के विषय मे अपने परिवारजनों तथा अखबारो व इंटरनेट पर पढ़ने से मिली जानकारी पर फिर एक एक छोटा सा मिला जुला लेख लिखा रहा हू ,उम्मीद है आप को पसंद अायेगा । आइए प्रारंभ करता हू बोलो प्रभु श्री राम जी की .. जय । चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है ।इस दिन भगवान श्री हनुमान जी की आराधना रोग, शोक व दुखों को हरकर विशिष्ट फल देने वाली होती है ।आइए मे आपको दर्शन करवाता हू बालाजी मेहंदीपुर मंदिर मे विराजित श्री परेतराज सरकार जी के।
व (Muscat,Oman )
मस्कट , ओमान मे विराजित बजरंग बली जी के दुर्लभ दर्शन ..!
ज्योतिषों के अनुसार हनुमानजी रुद्र अवतार स्वरूप माने जाते हैं। सतयुग से कलयुग तक प्रथम चरण विशेष में हनुमानजी की आराधना सकल मनोरथ पूर्ण करने वाली हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार रुद्र तथा रुद्र अवतार की साधना विशेष दिन करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, शनि तथा राहु के दोषों के निवारण के लिए हनुमान जी की आराधना विशेष मानी गई है।इस दिन श्री हनुमान चालीसा का जाप अवश्य करे ! 
।।श्री हनुमान चालीसा ।।

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारी
बरनौ  रघुबर  बिमल जसु, जो दायकू फल चारि
बुध्दि हीन तनु जानिके सुमिरौ पवन कुमार |
बल बुध्दि विद्या देहु मोंही , हरहु कलेश विकार ||

             चोपाई 

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर |
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ||
राम दूत अतुलित बल धामा |
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा ||

महाबीर बिक्रम बजरंगी|
कुमति निवार सुमति के संगी ||
कंचन बरन बिराज सुबेसा |
कानन कुण्डल कुंचित केसा ||

हाथ वज्र औ ध्वजा विराजे|
काँधे मूंज जनेऊ साजे||
संकर सुवन केसरी नंदन |
तेज प्रताप महा जग बंदन||

विद्यावान गुनी अति चातुर |
राम काज करिबे को आतुर ||
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया ||

सुकसम रूप धरी सियहि दिखावा |
बिकट रूप धरी लंक जरावा ||
भीम रूप धरी असुर संहारे |
रामचंद्र के काज संवारे ||

लाय संजीवनी लखन जियाये |
श्रीरघुवीर हरषि उर लाये ||
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई |
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||

सहस बदन तुम्हरो जस गावे |
अस कही श्रीपति कंठ लगावे ||
सनकादिक ब्रह्मादी मुनीसा|
नारद सारद सहित अहीसा ||

जम कुबेर दिगपाल जहा ते|
कबि कोबिद कही सके कहा ते||
तुम उपकार सुग्रीवहीं कीन्हा |
राम मिलाय राज पद दीन्हा ||

तुम्हरो मंत्र विभिषण माना |
लंकेश्वर भए सब जग जाना ||
जुग सहस्र योजन पर भानू |
लील्यो ताहि मधुर फल जाणू ||

प्रभु मुद्रिका मेली मुख माहीं|
जलधि लांघी गए अचरज नाहीं||
दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||

राम दुआरे तुम रखवारे |
होत न आग्यां बिनु पैसारे ||
सब सुख लहै तुम्हारी सरना |
तुम रक्षक काहू को डरना ||

आपन तेज सम्हारो आपे |
तीनों लोक हांक ते  काँपे ||
भुत पिशाच निकट नहिं आवे |
महावीर जब नाम सुनावे ||

नासै रोग हरे सब पीरा |
जपत निरंतर हनुमत बीरा ||
संकट से हनुमान छुडावे |
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै||

सब पर राम तपस्वी राजा |
तिन के काज सकल तुम साजा ||
और मनोरथ जो कोई लावे |
सोई अमित जीवन फल पावे ||

चारों जुग प्रताप तुम्हारा |
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ||
साधु संत के तुम रखवारे |
असुर निकंदन राम दुलारे ||

अष्ट सिद्धि नौनिधि के दाता |
अस बर दीन जानकी माता ||
राम रसायन तुम्हरे पासा |
सदा रहो रघुपति के दासा ||

तुम्हरे भजन राम को पावे |
जनम जनम के दुःख बिस्रावे ||
अंत काल रघुबर पुर जाई |
जहा जनम हरी भक्त कहाई ||

और देवता चित्त न धरई |
हनुमत सेई  सर्व सुख करई||
संकट कटे मिटे सब पीरा |
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||

जय जय जय हनुमान गोसाई |
कृपा करहु गुरु देव के नाइ ||
जो सत बार पाठ कर कोई |
छूटही  बंदी महा सुख होई ||

जो यहे पढे हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीसा ||
तुलसीदास सदा हरी चेरा |
कीजै नाथ हृदये मह डेरा ||

                   दोहा

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूर्ति रूप  |
राम  लखन  सीता  सहित , ह्रुदय बसहु सुर भूप ||

जय श्री राम । 

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