Haryanvi Bol Desi Quote ...

1. ठाल्ली डूम ठिकाणा ढूंढ़ै....ठाल्ली नान काटङे मूनडे
2. ढ़ेढ नै ढेढ गंगा जी के घाट पै टोह ले
3. तडके का मीह अर्र साँझ का बटेऊ टल्ल्या नही करते
4. दो पैसे की हांडी गई, कुत्ते की जात पिछाणी गई
5. दुध आली की तो लात भी उट जाया करे
6. नहर तले का अर्र सहर तले का मानस खतरनाक हो सै
7. न्यूं बावळा सा हांडै सै जणूं बिगड़े ब्याह में नाई
8. नाइयों की बारात में सारे ठाकर हुक्का कौन भरै ?
9. नाई-के-रै-नाई-के मेरे बाल कोड़ोड़ - जजमान, तेरै आगै-ए ना आ-ज्यांगे
10. चालना राही का, चाहे फेर क्यूं ना हो । बैठना भाइयाँ का, चाहे बैर क्यूं ना हो ।।
11. चोर नै फंसावै खांसी और छोरी नै फंसावै हांसी
12. चोरटी बिल्ली, छीके की रुखाळी
13. चाहे तै बावली सिर खुजावै ना, खुजावै तै लहू चला ले
14. चुड़ा रग देख कै लठ मारया करै
15. छाज तै बाजै-ए-बाजै, छालणी बी के बाजै - जिसमै 70 छेद ?
16. जड़ै दीखै तवा-परांत, ऊड़ै गावैं सारी रात
17. जाट मरया जिब जानिये जब तेरहवीं हो जाये
18. जाट्टां का बूढा बुढापे मै बिगड्ड्या करे
19. जाम दिये बाळक गूंद के लोभ में
20. जेठ के भरोसे छोरी ना जामना
21. जिस घर बड्डा ना मानिये, ढोरी पड़ै ना घास । सास-बहू की हो लड़ाई, उज्जड़ हो-ज्या बास ।
22. गादड्डी की मौत आवे जब गाम काने भाजा करे
23. गावड़ी की लात खाली कोन्यां जाती
24. गंडे तैं गंडीरी मीठी, गुड़ तैं मीठा राळा - भाई तैं भतीजा प्यारा, सब-तैं प्यारा साळा
25. गुजर के सौ, जाट के नौ अर्र माली के दौ किल्ले बराबर होया करेँ
26. घणी स्याणी दो बार पोवै - और भूखी सोवै
27. घणी सराही ओड़ कुतिया मांड में डूब्या करै
28. घर तै जळ-ग्या पर मूस्यां कै आंख हो गई
29. घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम
30. घोड़ी नै ठुकवाई तनहाळ, तो मींडकी नै भी टांग ठाई
31. भांग मांगै भूगड़ा, सुल्फा मांगै घी - दारू मांगै खोंसड़ा, थारी खुशी पड़ै तै पी
32. भीड़ मै डळा फद्दू कै-ए लाग्या करै
33. भूखे की बाहवड़ जाया करै पर झूठे की ना बाहवड़्या करती
34. भूआ जाऊं-जाऊं करै थी, फूफा लेण आ-ग्या !
35. भोळा बूझै भोळी नै – के रांधैगी होळी नै - मोठ बाजरा सब दिन रन्धैं सक्कर चावळ होळी नै
36. भादवे का घाम अर साझे का काम देहि तोडा करे
37. भीत में आला अर, घर में साला ठीक ना होते
38. जिसनै चलणी बाट, उसनै किसी सुहावै खाट
39. भादवे का घाम अर साझे का काम देहि तोडा करे
40. जूती तंग अर रिश्तेदार नंग - सारी जगहां सेधैं
41. झोटे-झोटे लड़ैं, झाड़ियां का खो
42. जोबन लुगाई का बीस या तीस, और बेल चले नों साल
43. मर्द और घोडा कदे ना हो बुढा, अगर मिले खुराक

India need National Level Policy to Improve the Air Quality



 As we all knows pollution does not form overnight, nor can our efforts to end it see immediate effect. Enforcement is still not good enough but initiating is much better then too late. India need national level policy to control the air pollution to improve the Air Quality.
1. Restrict the construction of power plants and other energy-intensive industries near residential areas.
2. Reduction of emissions from Coal/Diesel burning industries and Diesel vehicles
3. Boost cleaner and more efficient use of Coal/Diesel
4. Promote the use of electricity and natural gas in place of coal/Diesel/Petrol
5. Support for wind, solar and bio power sectors; increase in proportion of clean energy
6. Encourage the use of waste straw as a resource
7. Reduction in-field burning
8. Encourage to plant tree on road side bay and create forest
9. Implementation of control measures to deal with air pollution.
10. Improve urban planning to increase green spaces.

दंगल मे क्या क्या हानिकारक है या फ़िल्म घाकड सै धाकड सै !

राम राम जी,मै अनिल पाराशर आपका हाथ जोड़कर फिर से अभिनंदन है
दोस्तों जाने माने कलाकारों व फ़िल्मी विलेशषको की भी यही कहना है दंगल फ़िल्म के बारे मे जो मेरा कहना है वैसे आपको बता दूँ कि हरियाणा की संस्कृति पर आधारित चंदावल के बाद पहली ऐसी फ़िल्म है जो सबको लुभाती है वरना मे तीन बार थोड़ा देखण जाता

दोस्तों आज दंगल तीसरी बार देख ली है वजह कई सारी है जिसमे सबसे ख़ास वजह फ़िल्म बेहतरीन व हरियाणा की बेटियों पर उनके पिता का आत्मविश्वास दिखाती है पहलीबार देखी तो वही सामान्य नज़रिये से बेटियों के लिए बापू हानिकारक नज़र आया मगर जब दूसरी बार देखी तो लगा कि ये सब हानिकारकता हरियाणा मे हर माँ-बाप मे मिल जायेगी जितनी इस फ़िल्म मे दिखाई है .. हरियाणवी माँ तो धनी कसूत ( ज़्यादा कठोर) होती है
फ़िल्म मे बहुत सी बातै हे जो मुझे बेहद ख़ास लगी जैसी हरियाणवी बोली वही परोसी गयी जो है सलमान की फ़िल्म सुल्तान की तरह फूहड़ता मतलब गुडगोबर किया गया वैसे भी सुल्तान फ़िल्म कोरी काल्पनिकता पर थी जो हरियाणा के बालीवुड मे बढ़ते चलन पर जल्दबाज़ी मे थोपी गयी इसलिए मेरे जैसे लाखों के सुल्तान पसंद नही आयी खार वो तो पुरानी थी अब बात करते है दंगल की ... दंगल फ़िल्म मे अमीर खान की मेहनत को नज़रअंदाज़ नही किया जा सकता ये फ़िल्म हरियाणा की संस्कृति की आधुनिक झलक देती है जिसमे भोलापन साफ़ झलकता है . जहाँ तक मेरी जानकारी है कि अमीरखान ने ख़ुद हरियाणा के नामी कलाकारों का आडिशन लिया है अभिनय के लिए व सलाह मशवरा लिया है फ़िल्म को बेहतर बनाने मे .. गीता फोगाट व महावीर जी के संघर्ष का सिर्फ़ ये अंश भर है असल जिदंगी मे एक छोरी के पहलवान बनने का सफ़र वाकई मे सफ़र है जो सिर्फ़ वही समझता जिसने उसे तय किया हो ..
स्कूल से ही कुश्ती व लगभग हर खेल मे रूचि है मेरी तो बख़ूबी समझ रखता हू एक पहलवान की जिदंगी के दो टूक ..हरियाणा मे आज भी कहावत है " पहलवान यू ही ना बनते घर खाकर बनते है " जिसका मतलब ये है सब के बस की बात नही अपने आप को पहलवान बनाना व बच्चों को बनाना बिना आंकलन का ख़र्च आता है जिसे कोई सरकार कितनी भी ईनाम की राशि देकर नही पूरा कर सकती ..
अब अच्छी व भावुकता करने वाली चीज़ें इस फ़िल्म मे आपको ख़ुद समझ आ जायेगी मगर कुछ बातें ऐसी है जिससे लगता है अमीर खान ने ठीक से समझा नही पहलवानों को व उनकी जिदंगी को ...
अब मै आपको बता दूँ कि मुझे नही लगता कि हरियाणा के साधे भोले लोगो का जीने की तरीक़ा अमीर खान की समझ नही आया होगा या हो सकता है जानबूझकर उसमें अडंगा किया गया .. वैसे इतने बड़े कलाकार है ये जानबूझकर ही हो सकता है .. आइये देखते है क्या है वो सब ..
एक- फ़िल्म मे कुश्ती देखने पर टिकट की बिक्री दिखाई गई है जो कोरी बकवास है आजतक हरियाणा या आसपास कि राज्यों मे मैने कभी ना सुना न देखा की कुश्ती देखण पर टिकट हो बल्कि सच्चाई तो ये है कि जब कोई पहलवान जीतता है या अच्छा खेलता है जिसमे जरूरी नही खेल जीता हो तब भी लोग ख़ुश होकर मनोबल बढ़ाने के लिए उसकी झोली नगद ईनामो से भर देते है ठीक जैसे गीतों को हारने का बाद भी मिले है इस फ़िल्म मे..
दूसरा -अनदेखा अथवा जानबूझकर कर दिखाया गया सबसे घटिया दृश्य ये है कि पहलवानों को माँसाहारी दिखाया है जबकि पहलवान शाकाहारी होते है इस पर सुशील कुमार, योगेश्वर, अमित दहिया जैसे ओलिपयन को देख सकते है ! महावीर जी को कसाई के पास जाकर हलाल मांसाहार व धूम्रपान तथा शराब के सेवन करते दिखाया गया है जबकि वास्तविकता मे ऐसा है नही ..
तीसरा -अजीब सी मानसिकता निर्देशक अथवा मुख्य कलाकार की ये है कि पूरी फ़िल्म मे हनुमान जी का सम्मान करते हुये पहलवानों को नही दिखाया ... जबकि सच्चाई ये हे कि हर कोई पहलवान चाहे किसी समुदाय से हो अखाड़े मे उतरते समय बजरंग बली का अनुसरण ज़रूर करता है जो शायद इस फ़िल्म मे जानबूझकर नही दिखाया गया .. सच्चाई तो ये है कि महावीर जी ख़ुद हनुमान भक्त है जिनको एक बार भी नही दिखाया हनुमान जी का अनुसरण करते!

चौथी -बात ये कि महावीर जी को पूरी फ़िल्म मे बेबस सा दिखाया गया है बल्कि महावीर जी बेबस नही शेर दिल व ज़िंदादिल इंसान है कठोर हो सकते है कयोकि लक्ष्य को भेदना है मगर बेबस नही !
कडवी व सचची बात ये कि फ़िल्म मे तो सिर्फ़ यही दिखाया गया कि महावीर जी को उनके गीता की बाऊट देखने से रोका गया था बल्कि कड़वी सच्चाई जो एक अंग्रेज़ी अख़बार के मुताबिक़ ये है कि फौगाट बहनों के हरियाणा सरकार ने जितने पुरस्कार घोषित किये या जिनकी वे दावेदार है वो उनको नही मिले है जो फ़िल्माना चाहिए था ..
फ़िल्म सुपरहिट जायेगी इसमें कोई शक नही वैसे भी मेरी तरह दो-तीन बार देखने वाले बहुत है ..ये फ़िल्म हरियाणवी सिनेमा को फिर से उभरने का मौक़ा दे रही है कि चंदावल जैसी फ़िल्मे फिर से बने व और खूब नयी हरियाणवी फ़िल्मे बने ..फ़िल्म प्रोत्साहन को देखे सरकार को अलग से हरियाणा सिनेमा पर विशेष ध्यान देना चाहिए खेल प्रोत्साहन को देखे तो सरकार को हर खिलाडी को गर संभव मदद करनी चाहिए चाहे उसने पदक जीता हो या जीतने की राह पर हो ..
मेरी तरफ़ से फ़िल्म को 4.7 रैंकिंग है 5 मे से.. आप भी ज़रूर देखे व दूसरों भी दिखाए और हाँ विशेष दल जो... लोगो को अमीरखान की पीके मूवी व अन्य किसी टीका टिप्पणी को आधार बना रहा है उनकी बातों मे ना आए फ़िल्म देखकर कर ज़रूर आये जैसी भी लगे मेरी तरह विचार रख दें ..अब साधारण शब्द ये है कि फ़िल्म बेहद ख़ास हे कयोकि ये सिर्फ़ फ़िल्म है जो संघर्ष पर आधारित ज़रूर है मगर सचची नही इसलिए ज़रूर देखे ताकि पता लगे कि किसका किसका माँ-बापू हानिकारक है राम राम जी

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