#Surgical Strike सर्जिकल कार्यवाही के बाद मचा राजनितिक बवाल


दुनिया भर मे अमेरिका -रूस-इज़रायल सैन्य सर्जिकल कार्यवाही के लिए जाना जाता है भारत ने भी खूब सर्जिकल किये है मगर अपने सैन्य हित के लिए देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए की किसी राजनितिक पार्टी को चुनावी जुमला देने के लिए ऐसा तो नही है कि पहली बार भारत ने सर्जिकल किया हो पहले भी बहुत हुये मनमोहन सरकार मे तो ख़बरों के मुताबिक़ 6 से ज़्यादा हुए मगर तब किसी ने नही माँगा सबूत आज ही क्यूँहाल ही मे किये सर्जिकल के सबूत की माँग क्यूँ हो रही है ?इस क्यूँ का जवाब देखते है .. 

इस कार्यवाही से दुनियाभर मे फिर नयी आतंकशरणी की परिभाषा मिलने पर पाकिस्तान ने विशेष रणनीतिक दाँव खेला गया पाकिस्तान ने खुद अंतरराष्ट्रीय मीडिया को बुलाकर कहा कि यहाँ कुछ नही हुआ वो भी तीन-चार दिन बाद .. ये वही पाकिस्तान है जहाँ लादेन मिला मारा गया

वैसे सिर्फ़ पाकिस्तान की बातें सुनने या अंतरराष्ट्रीय मीडिया को सुनकर वीडियो की माँग नही हुई. सबको पता है पाकिस्तान के बार बार सबूत देने के बाद कुछ नही होता तो अब भी कयूँ सुनें ..
मेरी नज़र मे ये माँग एक राजनिति का हिस्सा है बाकि कुछ नही .. भारत मे राजनिति को स्तर को देखे तो शायद इसलिए कि पहली बार एक राजनितिक पार्टी के नेता सर्जिकल कार्यवाही के होर्डिंग लगवा रहे है नाम लुट रहे जैसे कोई बिल पास करवा दिया हो सैन्य कार्यवाही को राजनिति मे प्रयोग करना बेहद चिंताजनक है राजनितिक विशेषज्ञों की माने तो कुछ राज्य चुनाव मे चुनाव घोषित है यही मुख्य कारण है  मतलब साफ़ है सता के लिए कुछ भी किसी भी स्तर की राजनिति करेंगे
दूसरी तरह इस कार्यवाही की वीडियो को सार्वजनिक करके पाकिस्तान को जवाब देना कि सिर्फ़ किसी गंदी ज़ुबानी राजनिति है बल्कि एक प्रकार से सरकार की मंशा पर शक करना सा है जिसकी ज़िम्मेदार सरकार खुद है वरना पहले किसी कार्यवाही की वीडियो की माँग नही हुई

पिछली ख़बरों के मुताबिक़ रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर साहब ने  अरब सागर में पाकिस्तानी बोट का जलता हुआ फोटो जारी किया था जो बाद मे गलत साबित हुआ सरकार पर सवाल उठाना देशद्रोह कैसे हो सकता है ? फिर उस सवाल करने वाले के ख़िलाफ़ विशेष जंग छेड़ना अभिव्यक्ति की आजादी का हनन है इस अभिव्यक्ति की आजादी मे सवाल उठाने वाले को हमेशा संयम रखकर सवाल करने चाहिए . अगर राजनिति होने का अंदेशा मिला तो खुद राजनिति करके मौन रखना चाहिए  

किसी भी सर्जिकल अन्य सैन्य कार्यवाही की वीडियो को सार्वजनिक नही किया जाना चाहिए यही एक समृद्ध चौंकने देश का नियम है अगर सैन्य कार्यवाही द्वारा देश के नागरिकों का हनन हो या किसी नेता या पार्टी विशेष को आवेश या दबाव मे आकर की गयी कार्यवाही को ज़रूर उजागर किया जाना चाहिए मगर आंतरिक मामलों पर ही
सवा सौ करोड की दुसरी बड़ी आबादी वाला देश है भारतजिसके सैन्य सुरक्षा विभागों को अच्छे से पता है कि किसी राजनितिक दबाव मे या किसी देश के कहने पर हम काम नही करते अपनी सुरक्षा कैसे करनी है खुद तय करते है .इसलिए राजनितिक जुमलो से बचो कुछ दिन टीवी बंद कीजिए .. भारतीय सेना के बहादुर सैनिक आपकी रक्षा के लिए तात्परित है उन पर विश्वास रखिये हो सके तो जहाँ कही सैनिक मिले उसको बग़ैर राजनितिक पहचान दिये जय हिंद कहकर धन्यवाद कहिए अच्छा लगेगा .. आपकी इस छोटी सी पहल से सिर्फ़ एक सैनिक बल्कि सारे सैनिकों का सम्मान बढ़ेगा .. जय हिंद

सांझी का त्योंहार हरियाणा में

राम राम जी , नवरात्रौ की हार्दिक शुभकामनाएँ आप सबने ..

 'सांझी ' उतर भारत के गाँव -देहात विशेषकर हरियाणा पंजाब ,दिल्ली राजस्थान मे मनाया जाने वाला सर्दी के नवरात्रौ का त्यौहार !हरियाणी हूँ इसलिए वहाँ के हिसाब से मनाये जाने वाले सांस्कृतिक तरीक़ों को लिखने की कोशिश करूगाँ 
आइये बताता हू कि कैसे हरियाणा के गाँव-देहात मे सर्दियों के  नवरात्रों के शुरू होने पर मतलब कनागत( श्राद्ध ) के ख़त्म होने के बाद में घरों की दीवारों पर साझी सजाई व बनाई जाती है।साझी को  नवरात्रों में नौ दिनों तक माता के नौ रूपों में पूजा जाता है 

साझी बनाने के लिए गाय के गोबर में मिट्टी मिलाकर दीवार पर महिला की आकृति बनाई जाती है फिर उस पर चाँद सितारों व अनेक प्रकार की मिट्टी की सज्जा वाली कलाकृति लगाई जाती है जो अकसर सफ़ेदी मे डूबो कर यानी पोत कर बाद मे हल्दी व सिंदूर से गढ़ी जाती है। साझी का एक दुल्हन की तरह ही श्रगार किया जाता है व उसके मुंह को दुल्हन की तरह ही लाल रग के दुपट्टे या कपड़े से ढका जाता है। मतलब घूँघट किया जाता है बिलकुल नयी नवेली दुल्हन की तरह श्रृंगार किया जाता है

 वैसे तो ये कुँवारी लड़कियों का त्यौहार है .. मगर जिस घर मे कुँवारी लड़कियाँ नही है तो उस घर की महिलाएँ घरों की दीवारों पर साझी बनाकर हरियाणवी संस्कृति को कायम रखने का प्रयास करती है शहरों मे ग्रामीण परिवेश वाले लोग आज भी यह त्योहार मनाते है बल्कि मेरे संपर्क मे कुछ परिवार ऐसे भी है जो विदेशों मे यह परंपरा क़ायम रख रहे है जिससे उनके बच्चे उनकी इस संस्कृति को भूले नही!  वैसे भी हरियाणवी संस्कृति में साझी की अपनी ही एक अहम भूमिका है। साझी माँ दुर्गा की एक कलाकृति है। दोनो बखता ( सुबह -शाम) साझी का पूजा होती है। ए आस्था ये भी है कि बुजुर्गों के बताए कुवारी छोरी (लड़किया )अपने अपने लिए श्रेष्ठ व मनचाहा वर पाने के लिए साझी पूजा करती है। बताते है कि सत युग से यह परंपरा चली आ रही है 

आजकल घर की दीवार ख़राब का बहाना बनाकर साझी नही मनाते बहुत सारे परिवार धीरे धीरे शहरीकरण का हवाला देने लगे है वैसे अगर नीयत हो तो पोस्टर पर भी साझी बनी हुई देखी है मेने तो जैसे ब्याह -शादी मे थापे लगाते है ठीक उसी तरह .. ख़ैर सबके अपने अपने विचार अपनी अपनी आस्था व आपने अपने ढकोसलै ..!

याद है मुझे कि साझी सजाने के बाद रोज़ नये पकवानों का भोग लगाती है लड़कियाँ साझी यानी देवी माता को ..जिसमे अपने आप मे एक ख़ास संस्कृतिक आस्था दिखाई पड़ती है यक़ीन मानिए कुछ त्योहार व काम ऐसे होते है जो शब्दों मे बयां ही नही किये जा सकते जो महसूस किये जा सकते है  है।  नौ दिन तक साझी की पूजा करने के बाद दशहरे के दिन साझी का जोहड या नदी मे विसर्जन कर देते है 


.. दुनिया की संस्कृति को अपनाने के लिए घुट रहो हो मगर अपनी छोड़ रहे हो ये कैसा आधुनिक मतलब शहरीकरण ? अपने बच्चों को बताऔ अपनी संस्कृति के बारे मे बताओ मै ये नही कह रहा दूसरी संस्कृति व त्योहार मत मनाऔ मगर उनको अपनाने के चक्कर मे अपने मत भूलो .. "ऐसा करते समय बस एक बार कौवे व मोर वाली कहानी याद कर लेना जिसमें कौवा न कौवा रहा न मोर बन पाया था " साफ़ शब्दों मे ज्ञान की बात ये है तीज-त्योहार बनाऔ अपनी संस्कृति को सँजोए रखो आधुनिकता की होड़ मे इतने मत उलझ जाऔ की अपनी पहचान ही खो दो जय राम जी की 

Read US Visa Stamp

Reading a U.S. visa stamp is essential for understanding the terms and conditions of your entry into the United States. Here's a detaile...