शहीद भगत सिंह की क्रांतिकारी बातें

Sardar Bhagat Singh




शहीद भगत सिंह ने कहा था कि अगर सुनने वाला बहरा हो तो आपकी आवाज में दम होना जरुरी है 
महान क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह का कहना था कि कोई भी त्याग हमारी मातृभूमि की आजादी से बड़ा नहीं है, आज हम स्वतंत्र भारत में जी रहे हैं, ये इन्हीं लोगों का त्याग है। जब भारत की आजादी के किस्से सुने जाते हैं तो भगत सिंह का नाम ही सबसे ऊपर आता है। तो आइये जानें सरदार भगत सिंह जीवन की कुछ बातें :- 
सरदार भगतसिंह ने कहा था कि “मेरा जन्म एक पवित्र कार्य के लिए हुआ है, देश की आजादी ही मेरा परम धर्म है मेरे लिए कोई आराम नहीं है और मुझे मेरे लक्ष्य से कोई नहीं रोक सकता”
भगत सिंह के जीवन से जुडी एक प्रेरणादायी घटना है, कहते है कि भगत सिंह की माँ अक्सर देखा करती थीं कि वो एक अगरबत्ती लेकर रोज के छोटे कमरे में जाते और कमरा अंदर से बंद करके घंटों अंदर ही रहते। एक दिन जब भगत सिंह अगरबत्ती लेकर कमरे में दाखिल हुए तो माँ ने जिज्ञासावश एक कोने से अंदर देखा तो उनका कलेजा भर आया। भगत सिंह के एक हाथ में अगरबत्ती थी और सामने भारत माँ की तस्वीर टंगी थी और भगत सिंह फूट फूट कर रो रहे थे। उनकी आँखों में एक चमक थी आजादी की चमक। वो बार बार भारत माँ से वादा कर रहे थे कि माँ मैं अपने प्राणों की आहुति देकर तुझे आजाद कराऊंगा। ये देखकर माँ का सीना गर्व से फूल गया बाद मे इसी सरकार भगत सिंह ने पूरे देश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया ! 
मात्र 23 वर्ष की उम्र में इस वीर सपूत ने हँसते हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया। ऐसे देश प्रेमियों को कोटि कोटि नमन.………
शहीद भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार 
जिंदगी अपने दम पे जी जाती है, दूसरों के कन्धों पे तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं शहीद भगत सिंह
जीवन का अर्थ केवल अपने मन को नियंत्रित करना नहीं है, बल्कि इसको विकसित करना भी है शहीद भगत सिंह
प्रेमी, पागल और कवि एक ही सामग्री के बने होते हैं शहीद भगत सिंह
क्रांति लाना किसी एक अकेले इंसान की शक्ति के परे है इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा शहीद भगत सिंह
क्रांति हर इंसान का एक अविच्छेद्य अधिकार है और स्वतंत्रता सबका अविनाशी अधिकार शहीद भगत सिंह
कोई नियम या कानून तभी तक पवित्र और मान्य है जब तक ये लोगों की इच्छाओं को आदर करता है शहीद भगत सिंह
जब कोई व्यक्ति प्रगति की ओर कदम बढ़ता है तो उसे आलोचना, अविश्वास और चुनौती का सामना करना पढता है शहीद भगत सिंह
क्रांतिकारी विचारों के लिए एक स्वतंत्र भावना का होना बहुत जरुरी है शहीद भगत सिंह
मैं जोर देकर कहता हूँ कि मेरे अंदर भी अच्छा जीवन जीने की महत्वकांक्षा और आशाएं हैं लेकिन मैं समय की माँग पर सब कुछ छोड़ने को तैयार हूँ यही सबसे बड़ा त्याग है शहीद भगत सिंह
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याद आया वो सामण मे तीज का त्यौहार


राम राम जी सबने दोनूं हाथ जोड़कर ...आज तीज का त्योहार है खूब सोनीपत का घेवर ,मातुराम की जलेबी , खीर-सुहाली,पुंडे -गुलगुले खाया करते जब माँ -दादी तीज मनाया करती ... 
सबने सुण राखया सै ये बात भी ...
"नीम्बाँ कै निम्बोळी लागी सामणीया कद आवैगा,
जियो हे! मेरी माँ के जाए कोथळी कद ल्यावैगा| "

मननै भी आज छुट्टी के दिन पडै-पडै ने दूर देश-देहात मे बाद याद वो सारी आ गई.. कुछ पक्तियाँ लिखी है बताणा कैसी लगी ?

#तीज पर अपनी अपनी माँ-दादी के त्योहारी प्यार को याद करते हुये ..

सै इबबै याद मेरे कयूकर,माँ-दादी ने थी तीज मनाई 
सै इबबै याद मेरे कयूकर,माँ-दादी ने थी तीज मनाई 


छुट्टी के दिन देश-देहात ते दूर मेरे बात याद वा आई 
दिन मे डाल झूल नीम-पीपल पै,कौथली थी सुनाई.
.........................माँ-दादी ने थी तीज मनाई 

फैर उन टोली बीरा की ने,लम्बी लम्बी पींग बधाई 
सारा घर लीप पोत कै बड़े चुल्हे उपर धरी थी कढाई 
......................माँ-दादी ने थी तीज मनाई 

फेर सांझ छिपै सी पूड़े-गुलगुले,खीर-सुहाली बणाई
भोग लगा कै पितर व गऊ माता का नयू हरियाली तीज बणाई
........................... माँ-दादी ने थी तीज मनाई 


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