एक देश मे कई विधान, कई निशान व कई प्रधान नही चलेंगे

 राम राम जी ,आज  जून 23 है तो एक महान आत्मा श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्य तिथि पर नमन ... एक ख़ास बात याद आ गई जो मेने किसी पुस्तक मे इनके बारे मे पढ़ी थी बात देशहित कि थी तो याद रही... Article370 पर श्री श्यामा प्रसाद मुख़र्जी जो संघ व भारतीय जनता पार्टी के जनक थे उन्होंने कहा था – “एक देश में दो विधान, दो प्रधान, और दो निशान नहीं चलेंगे.” शायद यही यही एक मुख्य कारण था कि पूरे देश के नौजवानों व देश के शुभचिंतकों ने उनके ऐसे विचारों  का समर्थन भी दिया।

मगर मौजूदा हाल कि कहू तो आश्चर्य कि बात सी  है कि धारा 370 पर झुकते झुकते भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार ने देश का एक और हिस्सा कर दिया.. मतलब अब नागालैंड का अपना अलग पासपोर्ट होगा और साथ ही झंडा भी अलग होगा.

वैसे सोचने की बात ये है हर बार कि तरह हर मुद्दे पर पलटी मारने के बाद अब इस विषय मे भी मोदी सरकार की क्या मजबूरी रही कि उन्होंने इस मांग को मान लिया ये तो पता नहीं लेकिन ये मुद्दा संप्रभुता के विषय में एक चिंता दर्शाता है.

मेरे जैसे नौजवान सबसे ज़्यादा इस बात से चिंतित है कि कल अखंड भारत का नारा दे देकर छाती पीटने वाली मौजूदा मोदी सरकार अब अचानक से खुद देश विभाजन का हिस्सा बनने लगी ..
हो सकता है आप भ्रमित हो  या फेसबुक पर कुछ अभ्भियान चलाया जाये भ्रमित करके इस विषय से घ्यान भटकाने का कि सरकार ने नागालैंड की संस्कृति व लोगो की माँग के हिसाब से यह विभाजन जैसा क़दम उठाया ... 
अगर सच मे लोगो की माँग के हिसाब से व सता के लालच से ऐसा निर्णय लेगी सरकार तो लगभग हर राज्य अथवा समाज चाहेगा उनका भी अलग देश हो। तो जरा सोचिए कि देश की संपभुता का क्या होगा, विभिन्नताएँ मे एकता वाली सब सचची कहावतें झुठला जायेगी सिर्फ़ चंद सियासतदानो के चक्कर मे .
कल तक कड़क सुरक्षा नीति व अखंड भारत की बात कर करके सता मे आयी अब अचानक से हर मामले कयू दबती सी पड़ रही है कही किसी व्यवसायिक दल या अन्य दल का दबाव तो नही ?या सिर्फ़ और सिर्फ़ सता की भूख है जिसमें आम अागमी के सपनों को मारा जा रहा है ..!

मेरे अज़ीज़ प्रेमी दोस्तों अब इसमें दिल्ली और केंद्र की सरकार को मत ढूँढना कृपया खुद की शक्ति लगाना देशहित को समझने की .. विषय बहुत ही संजीदा है कयोकि एक प्रकार का विभाजन की है ये ...

हर गलत के ख़िलाफ़ आवाज़ को बुलदंकर ...

राम राम जी ... कितना अजीब सा माहौल है आजकल.... अगर सरकार की गलत नीतियाँ व नाकामी पर कुछ बोल दो या लिख दो न जाने क्या क्या गाली गलौज व देशद्रोही या किसी दल का समर्थक सुनने को मिलेगा.. 
व्यक्तिवादी राजनीति ने कहीं आम आदमी यानि सामान्य नागरिक की अभिव्यक्त की आज़ादी तो नही छिन ली है ! मौजूदा सरकार या किसी सरकारी व ग़ैर सरकारी सिस्टम के ख़िलाफ़ लिखना हमेशा से जनहित मे रहा है क्योंकि एहसास कराने से ही आभास होता है ..

कुछ मित्र कहते है कि कांग्रेस ने ये लूटा वो लूटा , हुडा ने लूटा तब नही बोले आज बड़े लिखते हो.. जरूरी नही कि तब नही लिखा या बोला तो आज भी सहते रहे .. 

मित्रों गलत को गलत कहना सीखिए वरना थूक कर तो चाटती गंदी मानसिकता वाले नेताऔ की सरकारें भी है चाहे किसी की भी हो .. मौजूदा सरकार को ही ले लो .. कल तक एफ़डीआई के विरोध मे पूरा भारत बंदलकरके देश का जनजीवन ठप्प करने वाली बीजेपी आज सता मे आने मे आने पर शत प्रतिशत की मंज़ूरी दे रही है . यही बीजेपी जो धारा 370 कश्मीर से हटाने का नारा देकर सता मे आयी आज ख़ामोश है और उसी ख़ामोशी ने एक और कश्मीर (नागालैंड) को अलग पासपोर्ट व अलग झंडे को मंज़ूरी दे दी ...
सबसे अहम बात ये है कि ये सब कल तक बहुत गलत था आज अचानक सही हो गया और मंज़ूरी दे दी आखिर कयू ? कया हम साधारण अभिव्यक्ति वाले इनके मनसूबे समझ पायेंगे या यूँही फ़ेसबुक टवीटर करते रह जायेंगे ? लगता तो ऐसा ही है कयोकि इतना सब गलत हो रहा है और लोग चुप है सिर्फ़ इसलिए कि आप ने या हमने उनको समर्थन  दिया है  ..  
फिर बात वही आ जाती है कि अगर हम नागरिक होने का फ़र्ज़ न निभाकर यूँही चुप्पी साधे रहे तो जो देश का अनहित पहले होता आया है वैसे ही होगा व समझ होते हुये भी असक्षम देश बन जायेगा ...

दोस्ते यू आपस मे छीटंकसी बंद करके हर उस नेता या सरकार को घेरे जिसकी हमारे व देश के निर्माण मे जवाबदेही है ..

सब सरकारें या नेता हज़ारों लाखों करोड विज्ञापनों व योगा डे पर ख़र्च देती है जबकि दूसरी तरफ़ देश का किसान सिर्फ़ सैकड़े रूपयों के क़र्ज़ न चुकाने पर जान दे रहा है ..तो आप ही फ़ैसला करे कि जिसको वोट दिया उसकी गलत नीतियों पर चुप्पी साधकर देश के विनाश मे योगदान देंगे या भारत माँ के उन सच्चे सैनिकों की शहादत को याद करके हर गलत के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करके देश के इन आंतरिक दुश्मनों को ख़त्म करोगे .. फ़ैसला आपका है सरकार तो आज ये है कल कोई और आयेगी रहेगा तो सिर्फ़ सामान्य आदमी वैसे ही .. दाल चीनी व अन्य चीज़ों का बढ़ती धटता मूल्य सिर्फ़ उसे ही प्रभावित करता है न कि किसी नेता विशेष को ...  

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Reading a U.S. visa stamp is essential for understanding the terms and conditions of your entry into the United States. Here's a detaile...